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प्यार के मायने

मेरी उड़ान
मेरी उड़ान
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मुझे तुमसे प्यार है अपार, बेशुमार,
यह चंद शब्द कर देते है मन को झंकृत
भर देते एक नवीन अहसास और उमंग,
बचपन में माँ का आँचल लगता है सबसे प्यारा,
वो ही तो होती है प्यार की प्रतिमूर्ति,
हर पल डगमगाते क़दमों को देती वो सहारा,
हम कहते मुझे तुमसे प्यार है अपार, बेशुमार,
कुछ बड़े होने पर लगते है दोस्त सबसे प्यारे,
उनके साथ बीते पल ही लगते हैं सबसे न्यारे,
हम कहते मुझे तुमसे प्यार है अपार, बेशुमार,
जब रखते हैं कदम हम यौवन की दहलीज़ पर,
तो कोई अनजाना लगने लगता सबसे प्यारा,
उसके सपने, उसकी ही बातें लगती हैं जीवन सारा,
हम कहते मुझे तुमसे प्यार है अपार, बेशुमार,
जब हाथ थामे उसका चलते जीवन राह पर,
तब अच्छाई संग बुराइयो से भी होते रूबरू,
जीवन के सत्य और यथार्थ संग होता जीवन शुरू,
हम कहते मुझे तुमसे प्यार है अपार, बेशुमार,
फिर जीवन मे गूँजती बच्चों की प्यारी सी किलकारी
जीवन भर जाता खुशियों से, हँसी लगे उनकी प्यारी,
हम कहते मुझे तुमसे प्यार है अपार, बेशुमार,
क्या समय के साथ बदलते हैं चाहत के मायने,
या इंसान की जरूरतें तय करती है चाहत के पैमाने,
जब ख़तम होती है ज़रूरत एक की,
तो होती है फिर शुरू, खोज प्यार की……
हम कहते मुझे तुमसे प्यार है अपार, बेशुमार,
नही यह प्यार नही, स्वार्थ है यह तो
प्यार तो है दूसरों की खुशी से खुश होना,
और हंसते हुए प्यार से सभी का साथ निभाना…
अगर कर पाते ऐसा तो कहना होता सार्थक
मुझे तुमसे प्यार है अपार बेशुमार……… किरण आर्या

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