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” यदा जीवंत “

मेरी उड़ान
मेरी उड़ान
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मौत एक शाश्वत कटु सत्य

एक अटूट मौन, एक चरम पथ

डर उसके मौन अठहास का नही

वरन अपनो से बिछूड़ने का

उनकी विरह वेदना और रुदन का

डर एक टूटन का बिखरन का

अहसासो के मरने का बेबस चुभन का

लेकिन यह तो होना ही है एक दिन

तो फिर क्यू ना दे सहर्ष स्वीकृति

जिए हसी खुशी बाकी बचे पल

हमारी आपेक्षाए है रोड़ा राह मे सबसे बड़ा

तो क्यू ना दे जाए कुछ यादे ऐसी जो मिटा दे तृष्णा सारी….

जब हम जाए तो चाहे आँखो मे हो आँसू यादो के हमारी

लेकिन होटो पर हो मुस्कान सबके प्यारी प्यारी…….

हमारी जिंदादिली, हसी और अहसासो की यादे न्यारी

खाली हाथ आए इस जहाँ मे, खाली हाथ है जाना

बस रह जाएँगे यादो मे सुनहरी मुस्कान बनके

तो फिर क्यू रहे उदास इस चुभन के साथ?

और क्यू ना लुटाए प्यार और खुशी का ख़ज़ाना?………..

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