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सकारात्मक सोच

मेरी उड़ान
मेरी उड़ान
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एक दिन मेरी सोच ने मुझसे कहा,

क्यू ना चलो हम बाते करे,

बाँटे अपने सुख दुख मन कुछ हल्का करे,

मैने हंसकर कहा ठीक है चलो एक नई पहल करे,

चलो मिलकर कुछ मज़ा करे कुछ हँसी चुहल करे,

आओ बने एक दूजे के सच्चे साथी,

तुम मुझपे निर्भर करो, मैं तुम संग करू बाति,

तुम जीवन को मेरे सकारात्मकता की धार दो,

मझधार मे गिरती उठती नैया को मेरी सवार दो,

तुम झरोखा हो मेरे व्यक्तित्व का, मन का जीवन का,

मेरे अंतर्मन की आवाज़ हो तुम……….,

जीवन के सुरो को जो साधे वो साज़ हो तुम,

तुम मुझे दिखलाओ सत्य का उजाला,

और दो मेरे जीवन को एक दिशा,

जिससे अंतर्मन मे ना हो कोई कटोच,

झूट का साथ ना दू कभी मैं,

ना लगे दिल पे कभी खरोच,

तुम से ही तो मैं संस्कारी कहलाऊँ,

तुम अगर बिगड़ो तो अज्ञानी कहलाऊँ,

तुम्हारी ताक़त पर मैं बलिहारी जाऊँ,

तुम चाहो तो लोकप्रियता के शिखर पर पहुचा दो,

तुम चाहो तो पल भर मे राख का ढेर बना दो,

तो अच्छी सोच को बना लिया मैने अपना साथी,

बना जीवन एक दिया और सोच बनी उसकी बाति!!……………..

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